हिन्दी व्याकरण - संज्ञा Hindi grammer - Noun

हिन्दी व्याकरण - संज्ञा  Hindi grammer - Noun


Hindi grammer-noun


परिवर्तन या विकार के आधार पर शब्दों के दो भेद किये जा सकते हैं (1) विकारी शब्द (2) अविकारी शब्द । संज्ञा , सर्वनाम , क्रिया , विशेषण विकारी शब्द हैं ।

संज्ञा शब्द की व्युत्पत्ति

 संज्ञा शब्द सम उपसर्ग पूर्वक ज्ञा(जानने) धातु से बना है । जिसका शाब्दिक अर्थ है ठीक प्रकार से जानना या ठीक से ज्ञान करवाने वाला । इसका अंग्रेजी पर्याय noun  है ।

संज्ञा की परिभाषा

संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे किसी वस्तु , प्राणी , प्राणी , स्थान , गुण , भाव आदि के नाम का बोध होता हो जैसे – पंखा , पुस्तक , कुर्सी , गाय , भैंस , मछली , जयपुर , बीकानेर ,दिल्ली , बचपन , बुढापा , मिठास , अपनत्व आदि ।

संज्ञा विकारी शब्द है तो लिंग , वचन , कारक , पुरुष , काल , आदि के कारण इसके रूप में परिवर्तन होता है।

परिभाषा में प्रयुक्त 'वस्तु' शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है, जो केवल वाणी और पदार्थ का वाचक न होकर उनके धर्मो का सूचक भी है। साधारण अर्थ में 'वस्तु' शब्द का प्रयोग इस अर्थ में नहीं होता ।

संज्ञा के भेद

हिन्दी भाषा मे संज्ञा के प्रायः तीन भेद माने जाते हैं-

  • व्यक्तिवाचक संज्ञा
  • जातिवाचक संज्ञा
  • भाववाचक संज्ञा

प्रकारान्तर में पांच भेद स्वीकार किये जाते हैं-

  • व्यक्तिवाचक संज्ञा
  • जातिवाचक संज्ञा
  • भाववाचक संज्ञा
  • समूहवाचक संज्ञा
  • द्रव्यवाचक संज्ञा

प्रायः द्रव्यवाचक संज्ञा व समूहवाचक संज्ञा की गणना जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत ही की जाती है।

व्यक्तिवाचक संज्ञा

जिन शब्दों से किसी एक ही व्यक्ति , वस्तु , स्थान आदि के नाम बोध होता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं । व्यक्तिवाचक संज्ञा प्रायः निरर्थक होती है । जैसे –

पुरुषों के नाम – राम , श्याम ,  मोहन , सोहन , कृष्ण , नरेन्द्र , सुभाष आदि ।
स्त्रियों के नाम –  सीता , गीता , रमा , उमा , माया , कविता , नजमा , नवदीप आदि ।
देशों के नाम –  भारत , अमेरिका , जापान , ब्रिटेन , रूस , इजरायल , फ्रांस आदि ।
पुस्तकों के नाम –  रामायण , भगवद्गीता , महाभारत , साकेत , महाभोज , अनामिका आदि ।
शहरों के नाम –  दिल्ली , जयपुर , बीकानेर , मुम्बई , कोलकाता , चेन्नई , हैदराबाद , वाराणसी आदि ।
दिनों के नाम –  सोमवार , मंगलवार , बुधवार , बृहस्पतिवार , शुक्रवार , शनिवार , रविवार आदि ।
नदियों के नाम – गंगा , यमुना , गोदावरी , सरस्वती , नर्बदा , सिंधु , कावेरी , चम्बल आदि ।
 सागरों के नाम – हिन्द महासागर , प्रशांत महासागर , अरब सागर आदि ।
पर्वतों के नाम – हिमालय , अरावली , सह्याद्रि , सतपुड़ा आदि ।
समाचार पत्रों के नाम – राजस्थान पत्रिका , दैनिक भास्कर , दैनिक जागरण  , पंजाब केसरी , रोजगार समाचार आदि ।
दिशाओं के नाम –  पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण , ईशान , आग्नेय , वायव्य , नैऋत्य आदि ।
महीनों के नाम –  जनवरी , फरवरी , मार्च ,  अप्रेल , मई , जून आदि ।
ग्रहों के नाम –  सूर्य , मंगल , बुध , गुरु , शुक्र आदि
त्योहारों के नाम – दिवाली , होली , दशहरा , ईद , लोहड़ी , क्रिसमस आदि ।

जातिवाचक संज्ञा

जिन शब्दों से सम्पूर्ण जाति , समूह या वर्ग का बोध होता है उसे जाती वाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे –

 लड़का , लड़की , पशु , पक्षी , छात्र , खिलाड़ी , सब्जी , फल , अध्यापक , लेखक , कवि , पुस्तक , पहाड़ , नदी सागर , तालाब , पेड़ , स्त्री , वीर , विद्वान , कक्षा ,  स्कूल , बस आदि ।

 लड़का यह शब्द संसार के सभी लड़कों का प्रतिनिधित्व करता है यथा राम , श्याम , मोहन ।
लड़की यह सभी लड़कियों का प्रतिनिधित्व करता है यथा सीता , गीता रमा ।
पशु  यह सभी पशुओं का बोध करवाता है यथा शेर , गाय , बकरी ।
पक्षी इससे सभी पक्षियों को बोध करवाता है यथा कौआ , चिड़िया , मोर , तोता ।
खिलाड़ी यह सभी खेलों के खिलाड़ियों का बोध करवाता है यथा क्रिकेटर , फुटबॉलर ।
अध्यापक यह सभी विषयों के अध्यापकों का बोध करवाता है।
नदी सभी नदियों का बोध होता है यथा गंगा , यमुना ।
विद्वान सभी विषयों के विद्वानों की जानकारी देता है ।
पेड़ संसार के हर पेड़ का बोध करवाता है यथा आम , सेव , केला ।

ये भी देखें

भाववाचक संज्ञा

जिन शब्दों से किसी व्यक्ति , वस्तु , स्थान आदि के गुण , दोष , धर्म , अवस्था , भाव आदि के नाम का बोध होता है उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे –  लम्बाई , चौड़ाई , मिठास , शीतलता , ममता आदि ।

कामता प्रसाद गुरु के शब्दों में – “ प्रत्येक पदार्थ में कोई न कोई धर्म होता है । पानी में शीतलता , आग में उष्णता , सोने में भारीपन , मनुष्य में विवेक और पशु में अविवेक रहता है । जब हम कहते हैं कि अमुक पदार्थ पानी है , तब हमारे मन में उसके एक वा अधिक धर्मों की भावना रहती है और इन्हीं धर्मों की भावना से हम उस पदार्थ को पानी के बदले कोई दूसरा पदार्थ नहीं समझते । पदार्थ माने कुछ विशेष धर्मों के मेल से बनी एक मूर्ति है । प्रत्येक मनुष्य को प्रत्येक पदार्थ के सभी धर्मों का ज्ञान होना कठिन है परंतु जिस पदार्थ को वह जानता है , उसके एक न एक धर्म का परिचय उसे अवश्य रहता है । कोई - कोई धर्म एक से अधिक पदार्थों में भी पाए जाते हैं ; जैसे लंबाई , चैड़ाई , मुटाई , वजन , आकार इत्यादि । पदार्थ का धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता अर्थात् हम यह नहीं कह सकते कि यह घोड़ा है और वह उसका बल या रूप है । तो भी हम अपनी कल्पना शक्ति के द्वारा परस्पर संबंध रखनेवाली भावनाओं को अलग कर सकते हैं । हम घोड़े के और - और धर्मों की भावना न करके केवल उसके बल की भावना मन में ला सकते हैं और आवश्यकता होने पर भावना को किसी दूसरे प्राणी ( जैसे हाथी ) के बल की भावना के साथ मिला सकते हैं ।“

' भाव ' शब्द का उपयोग ( व्याकरण के ) निम्न अर्थों में होता है -
धर्म - गुण के अर्थ में ; जैसे , ठंडाई , शीतलता , धीरज , मिठास , बल , बुद्धि , क्रोध आदि ।
अवस्था - नींद , रोग , उजाला , अँधेरा , पीड़ा , दरिद्रता , सफाई आदि ।
व्यापार - चढ़ाई , बहाव , दान , भजन , बोलचाल , दौड़ , पढ़ना आदि ।

भाव वाचक संज्ञा का निर्माण

प्रायः भाव वाचक संज्ञाओं का निर्माण पांच प्रकार से होता है –

1.जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा


 जातिवाचक  संज्ञा 

 भाववाचक  संज्ञा

 जातिवाचक  संज्ञा 

 भाववाचक  संज्ञा

 मनुष्य   मनुष्यता प्रभु  प्रभुता
 मित्र  मित्रता बच्चा बचपन
 शैतान  शैतानी शत्रु  शत्रुता
 समाज सामाजिकता मूर्ख  मूर्खता
 पात्र  पात्रता डाकू डकैती
 इंसान इंसानियत भ्राता  भ्रातृत्व
 भाई भाईचारा माता  मातृत्व
 इंसान  इंसानियत सेवक  सेवा
 अध्यापक  अध्यापन युवक योवन

2. सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा


 सर्वनाम 

 भाववाचक  संज्ञा 

 सर्वनाम 

 भाववाचक  संज्ञा 

 मम ममत्व,ममता स्व स्वत्व
 अहं अहंकार अपना अपनत्व,अपनापन
 निज निजता,निजत्व सर्व सर्वस्व
 आप आपा


3. विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा


 विशेषण 

 भाववाचक  संज्ञा

 विशेषण 

 भाववाचक  संज्ञा

 सूक्ष्म सूक्ष्मता  हरा हरियाली
 मीठा  मिठास महान महानता
 पराया परायापन स्वस्थ स्वास्थ्य
 भूखा भूख लम्बा  लम्बाई
 काला कालिमा सफेद सफेदी
 ललित लालित्य निपुण निपुणता
 भयानक भय चतुर चातुर्य
 शिष्ट शिष्टता सुंदर सुंदरता
 अजनबी अजनबीपन कायर कायरता


4.अव्यय शब्दों से भाववाचक संज्ञा


 अव्यय 

 भाववाचक संज्ञा 

 अव्यय 

 भाववाचक संज्ञा 

 ऊपर ऊपरी नीचे नीचाई
 दूर दूरी निकट निकटता
 धिक् धिक्कार मना मनाही


5.क्रिया शब्दों से भाववाचक संज्ञा


 क्रिया 

 भाववाचक संज्ञा 

 क्रिया 

 भाववाचक संज्ञा 

 पढ़ना पढ़ाई रुकना  रुकावट
 लिखना लिखाई जलना जलन
 हंसना हंसी जीना जीवन
सीना सिलना जितना जीत
 सुननासुनवाई गाना गान
 चुनना चुनाव कमाना कमाई
 बुनना बुनावट बिकना बिक्री
 भूलना भूल बसना बसावट
 बहना बहाव सजना सजावट
 देखना दिखावा धोना धुलाई



यद्यपि समूहवाचक संज्ञा व द्रव्यवाचक संज्ञा की गणना जातिवाचक संज्ञा में ही हो जाती है फिर भी अनेक स्थानों पर इसे अलग भी पढ़ा जाता है । अतः हम भी पाठकों की सुविधा हेतु संक्षिप्त में अलग से दे रहे हैं ।

समूहवाचक संज्ञा

जिन शब्दों से किसी व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध होता उसे समूह वाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे –
सभा , जनता , भीड़ , मण्डल , गुच्छा आदि ।

द्रव्यवाचक संज्ञा

जिन शब्दों से किसी द्रव्य वस्तु अर्थात नाप-तोल वाली वस्तु का ज्ञान होता है उसे द्रव्य वाचक संज्ञा कहते हैं ।
जैसे –
सोना , चांदी , लोहा , घी , तेल , दूध आदि ।

संज्ञा के रूप परिवर्तन

संज्ञा विकारी शब्द है तो लिंग , वचन , कारक , पुरुष , काल , आदि के कारण इसके रूप में परिवर्तन होता है ।

 लिंग के अनुसार परिवर्तन

लड़का जाता है । लड़की जाती है ।
राम खाता है । रमा खाती है ।
यहाँ लड़का व राम पुल्लिंग शब्द हैं जबकि लड़की व रमा स्त्रीलिंग अतः यहाँ हमें लिंग के कारण संज्ञा में परिवर्तन दिखाई देता है ।

वचन के अनुसार परिवर्तन

लड़का जाता है । लड़के जाते हैं ।
नदी बहती है । नदियाँ बहती है ।

यहाँ लड़का व नदी एकवचन व लड़के व नदियाँ बहुवचन है ।

कारक के अनुसार परिवर्तन

लड़का आम खाता है । लड़के ने आम खाया ।

लड़का व लड़के दोनों पुल्लिंग एकवचन हैं लेकिन इनके रूप में भिन्नता है ।

कभी-कभी कुछ संज्ञाएं मूल रूप में कोई अन्य संज्ञा होते हुए भी प्रयोग दशा में किसी अन्य संज्ञा की तरह व्यवहृत होती हैं । यथा -


जातिवाचक - व्यक्तिवाचक

कभी- कभी जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञाओं जैसा होता है। यथा -
'पुरी' से जगत्राथपुरी का 'देवी' से दुर्गा का, 'दाऊ' से कृष्ण के भाई बलदेव का, 'संवत्' से विक्रमी संवत् का, 'भारतेन्दु' से प्रसिद्ध लेखक भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का और 'गोस्वामी' से तुलसीदासजी का बोध होता है।

व्यक्तिवाचक - जातिवाचक

 कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक (अनेक व्यक्तियों के अर्थ) में होता है। ऐसा किसी व्यक्ति का असाधारण गुण या धर्म दिखाने के लिए किया जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा में बदल जाती है। जैसे –
आज हमारे देश में जयचन्दों की कमी नही है ।
यहाँ जयचंद एक व्यक्तिवाचक संज्ञा होते हुए भी जातिवाचक देशद्रोहियों के अर्थ में प्रयुक्त हुई है ।

भाववाचक – जातिवाचक

कभी-कभी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में होता है।

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1 comments:

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Unknown
admin
25 जून 2020 को 7:02 am बजे

Nice

Congrats bro Unknown you got PERTAMAX...! hehehehe...
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उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद!
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