हिन्दी व्याकरण - समुच्चयबोधक(योजक) Conjunctive

हिन्दी व्याकरण - समुच्चयबोधक(योजक) Conjunctive


Conjunctive


वे अव्यय जो दो शब्दों , वाक्यों , या वाक्यांशों को जोड़ते हैं , उन्हें समुच्चय बोधक अव्यय या योजक कहते हैं ।

जैसे –
राम आया और जयपुर चला गया ।
वाक्य में ‘राम आया’ ‘जयपुर चला गया’ दो वाक्य हैं , जिन्हें ‘और’ द्वारा जोड़ा गया है अतः यहाँ ‘और’ समुच्चय बोधक या योजक है ।

उदाहरण
राम और श्याम खेलते हैं ।
तुम्हें रामायण या गीता पढ़नी चाहिए ।
तुम आते तो मिल लेते ।
मैं कल दिल्ली जाऊंगा इसलिए तुम आ जाओ ।

समुच्चयबोधक के भेद

  • समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • व्यधिकरण समुच्चयबोधक


समानाधिकरण समुच्चयबोधक

वे अव्यय जो मुख्य वाक्यों को जोड़ते हैं उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जैसे
राम खेल रहा था और श्याम पढ़ रहा था ।
रमा नाचेगी तो गणेश गायेगा ।
मोहन आया है इसलिए सोहन भी आएगा । 

समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद


  • संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • विरोधदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • परिणामदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोध
  • वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक 


संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

वे अव्यय जो दो शब्दों , वाक्यों या वाक्यांशों को परस्पर संयोजित करते हैं , उन्हें संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं ।
उदाहरण
सीता और गीता विद्यालय जा रही हैं ।
मैं और श्याम एवं राधा साथ ही गए थे ।
आम तथा सेव मेरे पसंदीदा फल हैं ।
माता-पिता एवं गुरुजन पूजनीय हैं ।


विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

वे अव्यय जो वाक्य या वाक्यांशों में विभाजन करते हुए भी वाक्यों को जोड़ते हैं , उन्हें विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

उदाहरण
अच्छी तरह पढो नही तो फेल हो जाओगे ।
राम तो जाएगा , परन्तु श्याम शायद नहीं जाएगा ।
तुम जाते हो या मैं जाऊं ।
ना तो तुम आये , न गीता ही ।


विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

वे अव्यय जिनसे विकल्प का पता चलता है , उन्हें विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं ।

उदाहरण
तुम गा लो या गाने दो ।
रमा या गीता दोनों मेसे कोई एक प्रथम आयेगी । 
मैं आऊंगा अथवा रमेश आएगा ।


विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

वे अव्यय जो परस्पर दो विरोध करने वाले वाक्यों और उपवाक्यों को जोड़ते है उन्हें विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। 

उदाहरण
मैंने उसे कहा था पर वह नही माना ।
रमेश विद्यालय तो गया था लेकिन पहुँचा नहीं । 
मैं आता पर मुझे जानकारी नही थी ।


परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक 

वे अव्यय जो परस्पर दो उपवाक्यों को जोडकर परिणाम दर्शाते हैं , उन्हें परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। अर्थात जिन अव्यय शब्दों से परिणाम का पता चले उन्हें परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। 

उदाहरण
गलत करोगे तो दण्ड मिलेगा ।
मेरी बात मानो अन्यथा पछताना पड़ेगा ।
सीता और गीता अच्छी तरह पढ़ी इसीलिए उत्तीर्ण हो गयी ।

वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक 

वे अव्यय जो एक जुड़ने वाले और एक को त्यागने का पता चले उन्हें वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

उदाहरण
मोहन अथवा सोहन जयपुर गया ।
न तुम आये , न ही दुर्गा आयी ।



ये भी देखें

 संज्ञा <> सर्वनाम <> विशेषण <> क्रिया <> क्रिया-विशेषण 


व्यधिकरण समुच्चयबोधक


 प्रधान वाक्य से एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले अव्यय व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं । 

व्यधिकरण समुच्चयबोधक के भेद

  • कारणबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक
  • संकेतबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक
  • उद्देश्यबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक
  • स्वरूपबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक


कारणबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

जिन अव्ययों से प्रारम्भ होने वाले वाक्य पहले वाक्य का समर्थन करते हैं , उन्हें करणबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। अर्थात जिन अव्ययों से परस्पर जुड़े दो उपवाक्यों के कार्य का कारण स्पष्ट होता है उसे कारणबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जहाँ पर क्योंकि , जोकि , इसलिए कि , इस कारण , इस लिए , चूँकि , ताकि , कि आते हैं वहाँ पर कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक होता है।


उदाहरण
तुम्हें घर जाना चाहिए ताकि तुम आराम कर सको ।
राम मेहनत करता है इसलिए सफलता उसके कदम चूमती है ।
मुझे चलना चाहिए क्योंकि ओर भी काम करने हैं ।

संकेतबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

जिन अव्ययों से पूर्व वाक्य की घटना से उत्तर वाक्य की घटना का संकेत मिले उसे संकेतबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। अथार्त जिन शब्दों से दो योजक दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं उन्हें संकेतबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जहाँ पर यदि , तो , तथापि , जा , यद्पि , परन्तु आते हैं वहाँ पर संकेतबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक होता है।

उदाहरण
यदि वर्षा हुई तो खेत जूतेंगे ।
अगर भला चाहते हो तो भागो यहां से ।
जो तुम नही पढ़े तो अनुत्तीर्ण हो जाओगे । अर्थात

उद्देश्यबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक :- 

जिन अव्ययों से दो उपवाक्यों को जोडकर उनका उद्देश्य स्पष्ट किया जाता है उन्हें उद्देश्यबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। अर्थात जिन अव्ययों से उद्देश्य का पता चले उन्हें उद्देश्यबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जहाँ पर ताकि , कि , जो , इसलिए कि , जिससे आते हैं वहाँ पर उद्देश्यबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक होता है। 

उदाहरण
मैं भागा ताकि गाड़ी पकड़ सकू ।
अच्छे कर्म करें जिससे पूर्वजों का यश बना रहे ।
मजदूर मेहनत करता है कि अपने परिवार का पालन कर सके ।

स्वरूपबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

जिन अव्ययों से मुख्य उपवाक्य का अर्थ स्पष्ट होता है उन्हें स्वरूपबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से स्पष्टीकरण आये उन्हें स्वरूपबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जहाँ पर जैसे , यानी , कि , अथार्त , मानो आते हैं वहाँ पर स्वरूपबोधक व्यधिकरण समुच्चयबोधक होता है। 

उदाहरण
तुम आये अर्थात मुझे माफ़ कर दिया ।
तुम फूल सी महक रही हो यानी बहुत खुश हो ।
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